होली 2024 (Holika dahan 2024 )

इस लेख में पड़े-

* होलिका दहन के पीछे की पौराणिक कहानी (Holika dahan story)

* होली 2024 (Holika dahan 2024 ) कब है?, होली 2024 तिथि

* होली पूजन की विधि (holi pujan vidhi)

होलिका दहन के पीछे की पौराणिक कहानी (Holika dahan story)

    होलिका दहन  क्यों करते हैं?-

होली को लेकर के हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की कहानी अत्यधिक प्रचलित है| प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षसों का राजा हिरण्यकश्यप ने तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि संसार में कोई भी जीव, जंतु देवी, देवता, राक्षस या मनुष्य उसे ना मार सके, न हीं वह दिन में मरे, न हीं रात में, न हीं पृथ्वी पर मरे, न हीं आकाश में, न हीं घर के अंदर मरे, न हीं घर के बाहर, न हीं उसे कोई शस्त्र मार पाए| ऐसा वरदान पाकर के हिरण्यकश्यप निरंकुश हो गया|

            कुछ समय पश्चात हिरण्यकश्यप के यहां प्रहलाद नाम का पुत्र पैदा हुआ| प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था | हिरण्यकश्यप ने सारी जनता को यह आदेश देकर के रखा था कि उसकी भगवान के रूप में पूजा की जाए क्योंकि वह लगभग अमर हो चुका था| उसने प्रहलाद को भी यही आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति ना करें, पर प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था| उसने हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी| हिरण्यकश्यप ने उसे डराने धमकाने के बहुत प्रयत्न किए, पर प्रहलाद के न मानने के कारण हिरण्यकश्यप उसे जान से मारने पर उतारू हो गया था|

            ऐसे ही एक बार हिरण कश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को उपयोग किया| होलिका को वरदान था कि वह अग्नि से कभी भी नहीं जलेगी, उसको वरदान में एक ऐसी चादर मिली हुई थी जो आग में नहीं जलती थी| हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया और उसकी सहायता से प्रहलाद को आग में जलाकर के मारने की योजना बनाई| होलीका बालक प्रहलाद को गोद में उठाकर के जल करके मारने के उद्देश्य से वरदान वाली चादर ओढ़ करके लड़कियों के ढेर पर जा बैठी|  हिरण्यकश्यप के सैनिकों ने उसमे आग लगा दी, और देखते ही देखते आज बहुत बढ़ गई| जब आग बुझी तो सब ने देखा की होलीका जल करके भस्म हो गई और प्रहलाद अभी भी वहां पर  मुस्कुराता बैठा हुआ था| इस प्रकार प्रहलाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई|

इसके पश्चात भक्त प्रह्लाद लो बचाने और हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु नरसिह (आधा सिंह और आधा मनुष्य ) के अवतार में खंभे से गोधूलि समय में बाहर आए, यह समय सुबह और शाम के बीच का होता है | उन्होंने हिरण्यकश्यप को दरवाजे की चौखट पर अर्थात ना घर के अंदर ना घर के बाहर बैठा करके, अपने नाखूनों से उसकी छाती को चिर कर  मार डाला| तभी से उसी दिन से होली के त्यौहार को मनाया जाने लगा| और बुराई को जलाने के संकेत के रूप में या होलिका को जलाने के संकेत के रूप में लड़कियों के ढेर को जलाए जाने लगा|

होली 2024 (Holika dahan 2024 ) कब है?, होली 2024 तिथि, होलिका  दहन  कब  करे 24 या 25 मार्च को

             हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक होली का पर्व है| हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है, और इसके अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है| देश में ही नहीं विदेशों में भी होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है| इस बार होली की तिथि को लेकर थोड़ी असमंजस की स्थिति बनी हुई है| कोई 24 मार्च तो कोई 25 मार्च को होली बता रहा है| आईए जानते हैं हिंदू पंचांग के अनुसार कब है-
           हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9:54 से प्रारंभ हो रही है जो की 25 मार्च को 12 करके 29 मिनट पर समाप्त हो रही है, ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च और रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी|

होली पूजन की विधि (Holi pujan vidhi), होली की पूजा कैसे करे? (Holi ki puja kaise kare)
           हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9:54 से प्रारंभ हो रही है जो की 25 मार्च को 12 करके 29 मिनट पर समाप्त हो रही है, ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च और रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी|
            होलिका दहन की पूजा – होलीका दहन वाले दिन सूर्योदय के समय उठकर सभी काम से निवृत होकर के स्नान कर ले, साफ सुथरे वस्त्र धारण कर ले| बाद में होलिका दहन वाले स्थान में जाएं| उत्तरी या पूर्व की दिशा की ओर मुख कर करके होलिका में गोबर के उपले  की माला चढ़ाएं| इसके बाद रोली, अक्षत, फल, फूल, हल्दी, मूंग दाल, गेहूं की बालियां, और चने का पेड़ की डाली आदि चढ़ा दे| तत्पश्चात  दीपक और धूप जलाने के बाद कच्चा सूत या फिर कलवा लेकर के पांच या फिर साथ परिक्रमा होलिका के चारों ओर लगाए और सूत बांध  दे, इसके बाद सुख समृद्धि की कामना करें| रात को होलिका के दहन करे| थोड़े से अक्षत अग्नि में जरूर डालें|

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